उस घर की चार दीवारों में गुज़रा मेरा बचपन, अक्सर मुझे याद आता है। सारे लम्हें समेट उस घर की चार दीवारों में गुज़रा मेरा बचपन, अक्सर मुझे याद आता है। सारे...
वट तुम्हारी रागमयता आज मुझ पर झर रही है। वट तुम्हारी रागमयता आज मुझ पर झर रही है।
कैसे कह दूँ इनसे मुझ को प्यार नहीं है इनसे मेरा पुराना नाता है कैसे कह दूँ इनसे मुझ को प्यार नहीं है इनसे मेरा पुराना नाता है
देश विदेश का भेद नहीं हर एक से अपना नाता है देश विदेश का भेद नहीं हर एक से अपना नाता है
दुश्मनों को छोड़ो खुद का दिल ही हमें कठपुतली बनाता है। दुश्मनों को छोड़ो खुद का दिल ही हमें कठपुतली बनाता है।
बहुत हुआ यह पैसे अब, खर्च नहीं मैं करती हूं। बहुत हुआ यह पैसे अब, खर्च नहीं मैं करती हूं।